Monday, September 13, 2010

ि‍हन्‍दी ि‍दवस का संकल्‍प

                                                               हिन्दी दिवस का संकल्‍प
            ि‍हन्‍दुस्‍तान बसता है हर ि‍हन्‍दुस्‍तानी के जीवन में और हमारे ि‍हन्‍दुस्‍तान का सबसे बड़ा धन है यहाँ की राष्ट्रीय भाषा हिन्दी। हर भाषा को माँ का दर्जा प्राप्त है। माँ कभी भी अच्छी या बुरी नहीं हो सकती, माँ केवल माँ होती हैा कोई भी भाषा बुरी नहीं होती। उस भाषा को बोलने वाले को सब से प्रिय अपनी भाषा होती है और अक्सर हिंदी में दक्षता प्राप्त लोग महज अपना प्रभाव स्थापित करने हेतु विदेशी भाषा को अपने गले में बसा लेते हैं। जिज्ञासा और ज्ञानार्जन के लिये अन्य भाषाओं को सीखना अच्छी बात है, विदेशी भाषा की जानकारी होना अच्छी बात है लेकिन अपनी भाषा में अपने उद्गार व्यक्त करना उससे भी अच्छी बात है। किसी भी राष्ट्र की उन्नति का कारण भाषा प्रेम होता है। सोवियत रूस, जर्मनी और फ्रॉस को बीते वर्षो में महाशक्ति का दर्जा प्राप्त हुआ है। ये गौरव उन्हें सिर्फ अपनी मातृभाषा के प्रति अटूट प्रेम के कारण मिला है। नई महाशक्तियाँ चीन और जापान ये दो उदाहरण हैं जो अपनी मातृभाषा प्रेम के कारण विश्व-पटल पर अपना सुदृढ नाम अंकित कर सके। यही मातृभाषा कारण बनी इनके अंदर मौजूद कण-कण में बसी राष्ट्रीयता की भावना की। इन्होंने अपनी मातृभाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में अंकित कर कोने कोने में मौजूद जन-जन से सार्थक संपर्क स्थापित किया अगर हिन्दुस्तान को सन् 2020 तक जैसा कि माना जा रहा है विश्व के पटल पर महाशक्ति के रूप में स्थापित होना है तो उसे भी राष्ट्रभाषा हिन्दी की कोने-कोने में अलख जगानी होगी। जो राष्ट्र अपनी ही भाषा का, राष्ट्रभाषा का सम्मान नहीं करेगा, परित्याग करेगा वह राष्ट्र निश्चित ही श्री हीन हो जायेगा। आइये आज हिंदी दिवस पर हम सब यह संकल्प करें कि राष्ट्रभाषा की मान-प्रतिष्ठा में कभी कोई कभी नहीं आने देगें और उसे कदम दर कदम ऊँचाइयाँ देने का प्रयास करेंगे। हर तरफ की पुरवाई में अपनी इस हिंदी को फैलाने का प्रयास करेंगे।

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