Tuesday, September 14, 2010

हिन्दी दिवस पर कुछ बातें

हिन्दी दिवस पर कुछ बातें

हिन्दी मेरा ईमान है, हिन्दी मेरी पहचान है
हिन्दी हँू मैं वतन भी मेरा प्यारा हिन्दुस्तान है।
हिन्दी ही हिन्द का नारा है, प्रवाहित इसमें हिन्दी की धारा है
लाखों बाधाएँ हों फिर भी नहीं रुकना हमारा काम है।
हिन्दी प्रेम की भाषा है, हिन्दी हृदय की भाषा है। यही उसकी शक्ति है और इसी शक्ति के बल पर वह राष्ट्रभाषा व राजभाषा के गौरवशाली पद पर आरूढ़ हुई है। हजारीप्रसाद द्विवेदी ने कहा था -‘‘हमारे देश में भाषाएँ निःसंदेह बहुत शक्तिश्‍ााली हैं और इन सबको परस्पर एक सूत्र में बांधने वाली संपर्क भाषा हिन्दी दृढ़ आत्मविश्‍वास के साथ नई शक्ति बनकर उभर रही है।’’
और सचमुच हिन्दी में बंगला का वैभव है
गुजराती का संजीवन है, मराठी का चुहल है
कन्नड़ की मधुरता है और संस्कृत का अजस्र स्रोत है
प्राकृत ने इसका श्रृंगार किया है
और उर्दू ने इसके हाथों में मेंहदी लगाई है।


हम हिन्दी ही अपनाएँगे, इसको ऊँचा ले जाएँगे
हिन्दी भारत की भाषा है, हम दुनिया को दिखलाएँगे।
आओ हम हिन्दी अपनाएँ, गैरों को परिचित करवाएँ
हिन्दी वैज्ञानिक भाषा है, यह बात सभी को समझाएँ
हिन्दी भारत की आत्मा की वाणी है। उसका उन्नयन लोकाश्रय में हुआ है। वह जनता की हृदय और मन की भाषा के रूप में युगों से राष्ट्र के भावों की अभिव्यक्ति करती चली आ रही है। तुलसी, जायसी, मीरा, कबीर जैसे संतों ने इसे जहाँ सँवारा था, वहीं दूसरी ओर भारतेन्दु, ईश्‍वरचंद्र विद्यासागर जैसे लोगों ने राष्ट्र को इसकी शक्ति का बोध कराया था और राष्ट्रपिता बापू और देश के आधुनिक लोकनायकों ने इसे राष्ट्रीय एकता का साधक माना था। महर्षि दयानंद सरस्वती ने कहा था ‘‘हिन्दी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।’’


हिन्दी की बिन्दी को मस्तक पर सजा के रखना है।
सर आँखें पर बिठाएँगे, ये भारत माँ का गहना है।।
अभिमान है, स्वाभिमान है, हिन्दी हमारा मान है
जान है, जहान है, हिन्दी हमारी शान है।
डॉ.ग्रियर्सन ने कहा था ‘‘हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जो भारत में सर्वत्र बोली और समझी जाती है।’’ये बात अलग है कि स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी देष के कुछ हिस्सों के लोग हिन्दी को पूरी तरह अपना नहीं पाए हैं, हिन्दी से उस तरह का लगाव नहीं पैदा कर पाए हैं जो वे अपनी क्षेत्रीय या प्रादेि‍शक भाषा के साथ महसूस करते हैं। लेकिन गैर हिन्दी भाषियों ने भी फिल्म जगत के लिये सुनहरे गीत हिन्दी में लिखे हैं, संगीतबद्ध किये हैं, उनके लिये अपनी आवाज दी है, स्क्रीन पर ऐसे गीतों के लिये अभिनय भी किया है और इन गीतों को अमर बनाया है।


राष्ट्र की पहचान है जो, भाषाओं में महान है जो
जो सरल, सहज समझी जाए उस हिन्दी को सम्मान दो।
‘‘किसी राष्ट्र की राजभाषा वही भाषा हो सकती है, जिसे उसके अधिकाधिक निवासी समझ सकें’’ ये कथन है आचार्य चतुरसेन शास्त्री का। हिन्दी भारत देष की ऐसी भाषा है जिसे यहाँ के अधिकांश निवासी समझते हैं। लेकिन जरूरत आज इस बात की है कि हिन्दी भाषा को यथार्थ में राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाए, इसके प्रचार प्रसार में कोई कमी न छोड़ी जाए। हिन्दी फिल्में, हिन्दी गीत एक बहुत बड़ा माध्यम है देश भर के लोगों को हिन्दी समझाने और एकता स्थापित करने के लिये।


भारत की पहचान हो हिन्दी, जनगणमन का गान हो हो हिन्दी
रची बसी हो जन जीवन में, अधरों की मुस्कान हो हिन्दी।
चेलिशेव ने कहा था‘‘हिन्दी एक पूर्ण विकसित भषा है, संपन्न और समृद्ध, लगभग एक हजार साल पुरानी’’ लेकिन आज क्षेत्रीय भाषाओं के, अंग्रेजी के कई शब्द अपने मूल रूप और वजन के साथ हिन्दी ने आत्मसात कर लिये हैं, इससे ये भाषा और समृद्ध हो गई है।

15 अगस्त 1947 को बीबीसी के साथ एक साक्षात्कार में गांधीजी ने कहा था ‘‘संसार जान जाए कि मैं अंग्रेजी नहीं जानता’’ राष्ट्रपिता बहुत अच्छी अंग्रेजी जानते थे, मगर ऐसा उन्होंने इसलिये कहा क्योंकि वे संसार को बताना चाहते थे कि एक नए राष्ट्र ने न सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत से राजनैतिक स्वतंत्रता हासिल की थी, मगर एक दृढ़ निश्‍चय भी किया था कि अंग्रेजी मानसिकता या अंग्रेजियत को भी देष से जाना होगा। हमारी आराधना तभी सफल होगी।

हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। प्रारंभ में ये व्यवस्था की गई थी कि संविधान पारित होने के 15 वर्षों बाद हिन्दी सरकारी कामकाज की भाषा होगी और अंग्रेजी जिन कामों के लिये कामकाज में आती रही है, वह जनवरी 1965 तक चलती रहेगी। संविधान अनुच्छेद 244 के अनुसार समग्र स्थिति पर विचार करने के लिये 1955 में राजभषा आयोग की स्थापना की गई थी और इसकी सिफारिशों के अनुसार ? 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया जो 1967 में संशोधित किया गया।

जरूरत आज इस बात की है कि हम श्रद्धा पूर्वक हिन्दी को यथोचित सम्मान दें इस विश्‍वास के साथ कि हिन्दी भाषा को शीघ्रतिशीघ्र उस स्थान पर बैठा सकें जिसकी सारे राष्ट्रवासी बरसों से बस कल्पना करते आए हैं।

1 comment:

  1. हिन्‍दी भाषा पर बहुत सारगर्भित आलेख, धन्‍यवाद संज्ञा जी. आपका हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है।

    हिन्‍दी ब्‍लॉग संकलक चिट्ठाजगत में अपने इस ब्‍लॉग का पंजीयन कराईये एवं विश्‍वव्‍यापी पाठकों तक अपनी लेखनी पहुचाईये.

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